लेखनी कविता - दुनिया नई-पुरानी - बालस्वरूप राही

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दुनिया नई-पुरानी / बालस्वरूप राही दादी जो कहती है : दुनिया पहले जैसी नहीं रही, अब क्या मिलता है खाने को, पहले तो थे दूध-दही। लेकिन आइसक्रीम कहाँ थी और कहाँ ...

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